निगरानी 24 (न्यूज़ डेस्क)
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार द्वारा जहां स्वास्थ्य सेवाओ में बेहतरीन सुधार किए जा रहे हैं,वही राज्य सरकारें भी अपने -अपने स्तर पर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में जुटी है, ऐसे में वीएमएमसी सफदरजंग हॉस्पिटल के नैफ्रोलोजी विभाग के एमडी, डीएम एवं प्रोफेसर,हैड आफ दा डिपार्टमेंट डाक्टर हिमांशु वर्मा का कहना है,कि एक आम इंसान के शरीर की ग्रोथ बाल्यावस्था से 25 से 30 वर्ष तक होती है, उसके बाद आजकल के बदले हुए लाईफस्टाईल ने आम नागरिकों में बीमारियों का संचार कर दिया है,जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा,कि खान -पान और दैनिक व्यायाम ना करना भी मनुष्य की शारीरिक संरचना को प्रभावित करता है। श्री वर्मा ने कहा,कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है,ये बिल्कुल सत्य है, लेकिन ये भी हम सभी का दायित्व बनता है,कि अपने आप को कैसे स्वस्थ रखा जाए। इसके लिए जरूरी है,कि 30-35-40 की उम्र से ही हमें साल में एक बार नियमित अपने स्वास्थ्य की सभी जांचें करवानी चाहिए,साथ ही पूरे शरीर की स्क्रीनिंग से ही हमें पता लग पाएगा,कि शरीर में विकार कहां से शुरू हुआ और कहां तक पहुंचा है, जिससे की समय रहते उसका ईलाज करवाकर अपना जीवन बचाया जा सके। डाक्टर हिमांशु वर्मा ने कहा,कि कई जगह ये देखा जाता है,कि लोग स्वास्थ्य की जांच ही नही करवाते,और अपने आप को फिट होने का दावा करते हैं, लेकिन उन्हें ये समझना चाहिए,कि उन्हें लगता है,वो फिट है,वो बहुत अच्छी बात है,तो फिर चेकअप और स्क्रीनिंग क्यूं नहीं करवाते, जिससे की उनको स्वयं को भी आत्मसंतुष्टि मिल सके।
डाक्टर हिमांशु वर्मा ने स्पष्ट किया,कि जिस प्रकार स्वास्थ्य सेवाओं में केन्द्र व राज्य सरकारें जी-तोड़ प्रयास कर रही है,उसी प्रकार आम नागरिकों को भी अपने भारत को रोगमुक्त बनाने के लिए आगे आना होगा। डाक्टर वर्मा ने कहा,कि सरकारो को चाहिए,कि जिस प्रकार घर घर जाकर पोलियो की दो बूंद पिलाकर भारत को पोलियोमुक्त बनाया था,अब समय आ गया है,कि घर -घर जाकर वहां रह रहे प्रत्येक सदस्य की निःशुल्क ब्लडप्रेशर और शुगर की जांच की जाए और इसके लक्षण दिखते ही उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य सेवा केन्द्र पर वरिष्ठ डाक्टर को दिखाने को कहना चाहिए, जिससे की शुरुआती बीमारी के लक्षण दिखने पर ही उसकी रोकथाम की जा सके। उन्होंने कहा,कि देश में घर-घर शुगर और ब्लडप्रेशर के मरीज बढ रहे हैं, इसलिए उनके जीवन को बचाने के लिए उन्हें खुद आगे आकर अपने जीवन की रक्षा करनी पड़ेगी। बहरहाल, डाक्टर भगवान का रुप होते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन उनके द्वारा बताई गई बातो को अपने और अपने परिवार के सदस्यों के जीवन में उतारना और शारीरिक जांच नियमित कराना रोगमुक्त भारत के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।